Haryanvi Singer Masoom Sharma Biography

Masoom Sharma Biography

हरियाणवी संगीत में पहचान बनाने वाले मासूम शर्मा का जीवन और करियर संगीत के प्रति उनकी गहरी समर्पण और हरियाणवी संस्कृति की छवि को जीवंत बनाने की कहानी है। मासूम शर्मा का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गाँव में हुआ था, जहाँ से उनकी संगीत यात्रा की शुरुआत हुई। परिवार और गाँव का समर्थन हमेशा उनके साथ रहा, लेकिन संगीत में करियर बनाना उनके लिए कोई आसान काम नहीं था। एक साधारण परिवार से आने वाले मासूम को शुरुआत में कई संघर्षों का सामना करना पड़ा।

उनके बचपन से ही संगीत में रुचि थी, लेकिन इसे पेशे के रूप में अपनाने का निर्णय उन्हें अपने सपनों के लिए बड़ी चुनौतियों से गुजरने के लिए प्रेरित करता था। हरियाणा के पारंपरिक गीत-संगीत से जुड़े माहौल में पले-बढ़े मासूम ने धीरे-धीरे यह समझा कि संगीत ही उनका सच्चा साथी है और उन्होंने इसे अपनी पहचान बनाने का जरिया बना लिया। अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने स्थानीय स्तर पर कई छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी आवाज का जादू लोगों पर चढ़ने लगा और उनके नाम की चर्चा हरियाणा के संगीत प्रेमियों के बीच होने लगी।

मासूम शर्मा का करियर तेजी से आगे बढ़ा जब उन्होंने हरियाणवी संगीत इंडस्ट्री के कई प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम करना शुरू किया। उनका पहला बड़ा हिट गाना “बोल तेरे मीठे मीठे” था, जिसने हरियाणवी युवाओं के बीच धूम मचा दी। इस गाने में उनकी मधुर आवाज और हरियाणवी बोलियों का खूबसूरत मिश्रण था, जो श्रोताओं को तुरंत ही पसंद आ गया। इसके बाद उन्होंने “मेरा के बणेगा” जैसे सुपरहिट गाने गाए, जिनमें हरियाणा की मिट्टी की महक और संस्कृति की झलक थी।

उनकी आवाज में एक ऐसा आकर्षण है जो हरियाणवी संस्कृति की जीवंतता को नए ढंग से पेश करती है। मासूम के गानों में एक विशेष प्रकार की सरलता और वास्तविकता होती है, जो उनके श्रोताओं को अपनी कहानी से जोड़ती है। उनके गीतों में मुख्य रूप से गाँव, खेत, परिवार और हरियाणवी समाज की सच्चाई का चित्रण होता है, जो सुनने वालों को उनके गीतों से एक गहरा संबंध महसूस कराता है।

मासूम शर्मा का संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह हरियाणवी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का एक जरिया है। उनके गानों में कई बार ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का चित्रण भी देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, उनके कई गानों में उन भावनाओं का उल्लेख होता है जो गाँवों में सामान्यतः महसूस की जाती हैं, जैसे कि किसान का अपने खेतों से जुड़ाव, युवा पीढ़ी की आकांक्षाएँ और हरियाणवी जीवनशैली में अपनाई गई सरलता।

  • Kharbuja

  • Sovan De Piya

  • Jaan Jatni

  • Angoor

  • Gandaas Hori se

मासूम शर्मा ने हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री को नए अंदाज़ में पेश किया है। जहां हरियाणवी संगीत को पहले केवल लोक गीतों तक सीमित समझा जाता था, उन्होंने इसे एक नया मोड़ दिया और इसे नई पीढ़ी के करीब ला दिया। उनकी आवाज़ में गहराई और अद्वितीयता है, जो उन्हें भीड़ से अलग करती है। हरियाणवी म्यूजिक को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने में मासूम का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है।

उन्होंने हरियाणवी संगीत में कई नवाचार किए हैं, जिसमें उनका संगीत में विविधता और आधुनिकता का समावेश करना शामिल है। अपने गीतों में उन्होंने कई तरह के विषयों को छुआ है, जैसे प्यार, दोस्ती, समाज और ग्रामीण जीवन। उनके गीत न केवल मनोरंजन करते हैं बल्कि हरियाणा की संस्कृति, सोच और जीवनशैली का सुंदर प्रतिबिंब भी प्रस्तुत करते हैं। वे अपने गीतों के माध्यम से युवाओं के दिलों में हरियाणा के प्रति एक गहरी भावना जागृत करते हैं और अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का संदेश देते हैं।

मासूम शर्मा के लिए संगीत केवल एक पेशा नहीं है, बल्कि यह उनके दिल की आवाज़ है। उनके कई गानों में हमें यह देखने को मिलता है कि उन्होंने हरियाणा की धड़कनों को बहुत ही करीब से महसूस किया है। उनकी गहरी और मधुर आवाज़ में एक ऐसा जादू है कि उनके गाने सुनते ही श्रोताओं को हरियाणा की सुंदरता, सरलता और सच्चाई का अहसास होता है। उनका हर गाना उनकी संस्कृति और परंपरा के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाता है।

आज मासूम शर्मा न केवल हरियाणवी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं, बल्कि देशभर में उनकी पहचान बन चुकी है। उन्हें कई अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है और हरियाणवी संगीत को देश-विदेश में पहचान दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनकी आवाज ने हरियाणवी लोकसंगीत को एक नई पहचान दिलाई है और हरियाणवी संगीत को अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय बनाया है।

मासूम शर्मा के करियर की सफलता में उनकी कड़ी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने अपने संघर्षों को कभी भी अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दिया, बल्कि उन्हें अपनी ताकत बना लिया। वे हमेशा अपने श्रोताओं को हरियाणवी संस्कृति से जोड़ने और इसे बढ़ावा देने का प्रयास करते रहते हैं। उनके संगीत की मधुरता, गानों के शब्द और उनका सरल स्वभाव उन्हें एक विशेष स्थान दिलाते हैं।

उनके कई प्रसिद्ध गानों में से “बोल तेरे मीठे मीठे,” “मेरा के बणेगा,” “कच्चे मकान” और “फागुन के रंग” आज भी श्रोताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। हरियाणवी संगीत प्रेमी उन्हें हमेशा नई प्रस्तुतियों के लिए उत्सुकता से इंतजार करते हैं। उनका मानना है कि हरियाणवी संगीत को नई ऊंचाइयों तक ले जाना उनका सपना है और वे इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

संक्षेप में कहा जाए तो मासूम शर्मा का जीवन और संगीत हरियाणवी संस्कृति की जीवंतता और सुंदरता का प्रतीक है। उनके गाने हरियाणा की मिट्टी, वहां के लोग, उनकी सोच और जीवनशैली का एक सजीव चित्रण हैं। उन्होंने अपने संगीत के माध्यम से हरियाणवी लोकसंगीत को पुनर्जीवित किया है और इसे नई पीढ़ी के करीब ला दिया है। उनकी यात्रा आज भी जारी है, और वे हर दिन नई ऊंचाइयों को छूने का सपना देखते हैं।

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